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बेटे की मौत के बाद मैंने आठ-दस महीनों तक रेबीज के तमाम आंकड़े पढ़ें,डब्ल्यूएचओ रेबीज रोकथाम गाइडलाइन, भारत सरकार की रेबीज रोकथाम गाइडलाइन और तमाम रेबीज से संबंधित गूगल पर लेख पढ़ें और यूट्यूब पर 1600 से अधिक डॉग बाइट व रेबीज से संबंधित, रेबीज रोकथाम हेतु वीडियो देखें।
इसी दौरान मेरे पास भारत व विश्व के संदर्भ में रेबीज से संबंधित चौंकाने वाले आंकड़े सामने आ चुके थे।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट 2021 के अनुसार———आज दुनिया में सबसे ज्यादा रेबीज कुत्ते फैला रहे हैं। आज भी 150 से अधिक देश रेबीज वायरस की चपेट में है। 59000 लोग हर साल रेबीज के कारण मारे जाते हैं। 95% मौतें रेबीज की वजह से एशिया और अफ्रीका में होती है। 90% लोगों को पूरी दुनिया में कुत्तों के काटने से रेबीज होता है। 99% लोग जो रेबीज से मरते हैं उन्हें कुत्ते ने काटा होता है। 40% रेबीज के मामलों में 15 साल से कम उम्र के बच्चे होते हैं। 2.9 करोड लोगों को हर साल जानवर के काटने पर रेबीज का टीका लगता है। 30 मिनट में 2 मौतें हो रही है रेबीज से,मरने वालों में हर 10 लोगों में 4 बच्चे।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट 2021 के अनुसार रेबीज वायरस ने भारत को भी जकड़ रखा है।हर रोज बड़ी संख्या में लोग रेबीज का शिकार हो रहे हैं। रेबीज से दुनिया की 36% मौतें भारत में होती है। भारत में हर साल 1.74 करोड लोगों को कुत्ते काट लेते हैं। भारत में 20000 लोगों की जान हर साल रेबीज के कारण चली जाती है। 60% रेबीज के केस 15 साल से कम उम्र के बच्चों में मिलते हैं।
भारत में एसोसिएशन फॉर प्रीवेंशन एंड कंट्रोल ऑफ रेबीज इन इंडिया के आंकड़ों के अनुसार 92% लोगों को कुत्ते काटते हैं, 3% लोगों को बंदर नोच लेते हैं,
2% लोगों को बिल्लिया काटती है, 3% लोगों को अन्य जानवर काटते हैं।
स्टेट ऑफ पेट होमलेसनेस इंडेक्स के अनुसार भारत में 6.2 करोड आवारा कुत्ते हैं, 91 लाख आवारा बिल्लियां है, 88 लाख कुत्ते-बिल्लियां शेल्टर में है।

पालतू जानवर में रेबीज के लक्षण—-पालतू जानवर बीमार हो सकता है,उसे निगलने में परेशानी हो सकती है, ज्यादा मात्रा में लार बहती हो, कभी-कभी बहुत आक्रामक हो जाता है, हवा में मुंह चलाकर काटने की कोशिश करता है, वह सुस्त दिखाई देता है। उसे लकवा हो सकता है। संक्रमित चमगादड़ जमीन पर पड़ा मिलता है।पालतू जानवर को रेबीज है या नहीं इसका पता लैब में उसकी लार व टिश्यू की जांच से चलता है.

इंसानों में रेबीज के संक्रमण के लक्षण—–
संक्रमित व्यक्ति इंसेफलाइटिस, पैरालिसिस या कोमा में जा सकता है।
कमजोरी,दर्द,उल्टी या कार्डिएक फेल्योर जैसी शिकायत हो सकती है।
गले की मांसपेशियों के लकवा ग्रस्त होने से पानी,पीना कठिन हो जाता है।
एयरोफोबिया (हवा से डरना) हाइड्रोफोबिया (पानी से डरना) फोटोफोबिया (लाइट से डरना) जैसे लक्षण आ सकते हैं।

उपरोक्त सारे आंकड़े तो सरकारी आंकड़े थे इन आंकड़ों के अलावा और भी चौंकाने वाले आंकड़े मेरे सामने थे। भारत में हर साल 20000 लोगों ही रेबीज से नहीं मरते अपितु लाखों लोग रेबीज की वजह से मारे जाते हैं। जिनका कोई सरकारी आंकड़ा नहीं होता यह सारे लोग गांव देहात के रहने वाले होते हैं क्योंकि भारत की 70% आबादी गांवों में निवास करती है। गांव में अगर किसी को रेबीज होता है और वह अस्पताल भी जाता है तो अस्पताल वाले उस पेशेंट को भर्ती करने से मना कर देते हैं। मेरे बेटे की मौत के बाद में मेरे पास 11 ऐसे ही लोगों के केस आये हैं जिनको सभी को कुत्ते ने कमर से ऊपर काटा था और उनमें किसी को भी घाव के अंदर एंटी रेबीज सीरम नहीं लगी थी यानी की उन सबको घाव की ग्रेड के अनुसार इलाज नहीं मिला था नतीजा सब की मौत रेबीज हो गई और एक का भी सरकारी आंकड़ा नहीं है। क्योंकि इन लोगों को लक्षण आया था तब यह लोग गांव में थे और जब यह अस्पताल गए तो अस्पताल वालों ने भर्ती करने से मना कर दिया। और ऐसे ना जाने कितने लोग भारत की 140 करोड़ की आबादी में हैं जिनके आंकड़े भारत सरकार के पास में कभी भी नहीं पहुंच पाये हैं और सबसे बड़ी बात इस और कभी भी शासन-प्रशासन ने और सरकारों ने ध्यान ही नहीं दिया।

👉👉👉यहां पर मेरी अंतरात्मा को और मेरे को एक नया मकसद मिल गया था। मैंने सोचा क्यों ना बेटे के नाम से एक संस्था बनाकर जितना हो सके लोगों को रेबीज प्रोटोकॉल व घाव की ग्रेड के अनुसार इलाज दिलाएं और लोगों को डॉग बाइट के प्राथमिक इलाज रेबीज प्रोटोकॉल व घाव की ग्रेड के अनुसार लेने के लिए जागरूक, शिक्षित, सजग, सतर्क व सावधान किया जाए।
इसके लिए मैं सबसे पहले गोवा गया और वहां के शासन-प्रशासन से बात की,कि उन्होंने गोवा को कैसे रेबीज मुक्त बनाया है क्योंकि गोवा अपने आप में रेबीज मुक्त है।तब मुझे पता चला कि गोवा में लगभग वहां के सभी आवारा कुत्तों का वेक्सीनेशन किया गया और जगह-जगह वहां पर डॉग टेंपल बने हुए हैं। वह से मैंने एक रोडमेप बनाया कि कैसे राजस्थान और संपूर्ण भारत को रेबीज मुक्त बनाया जा सकता है इस पर मैं काम करने लगा। धीरे धीरे मैंने संपूर्ण राजस्थान सहित संपूर्ण भारत को रेबीज मुक्त बनाने का रोडमैप वो खाका तैयार कर लिया था। अब बस इस पर काम करना था और वो काम बदस्तूर अब भी, आज भी कर रहा हूं। इस काम के लिए मैंने सोशल मीडिया का मार्ग चुना।
इसके लिए सबसे पहले मैंने मेरे दिवंगत इकलौते बेटे के सातवें जन्मदिन 26 जनवरी, 2022 को उसके नाम से प्रिंस रेबीज रोकथाम संस्थान बनाकर उसका रजिस्ट्रेशन करवाया। उसके विभिन्न सोशल साइट बनाएं उनका प्रचार प्रसार किया और देखते-देखते लाखों लोग मुझे जुड़ते चले गए। आज राजस्थान के लगभग 20 जिलों में मैंने प्रिंस रेबीज रोकथाम संस्थान की उपशाखा बना रखी है। मेरे पास जो भी डॉग बाइट का केस आता है उसको मैं सोशल मीडिया के माध्यम से ही पेशेंट के घाव को मंगवाकर उसको साफ बहते पानी 15-20 मिनट धुलवाकर तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य के केंद्र भेज कर डॉक्टर से बात करके रेबीज प्रोटोकॉल व घाव की ग्रेड के अनुसार इलाज दिलाता हूं और जरूरत पड़ने पर व्हाट्सएप के जरिए डब्ल्यूएचओ की रेबीज रोकथाम गाइडलाइन डॉक्टर के पास भेज देता हूं। इस प्रकार 26 जनवरी,2022 से लेकर आज दिनांक 20 अक्टूबर,2022 तक मैंने 1563 लोगों को रेबीज प्रोटोकॉल व घाव की ग्रेड के अनुसार इलाज दिलवाया है और जरूरत पड़ने पर पेशेंट को अगर जिला अस्पताल में सीरम नहीं मिलती है तो बाहर से मंगवाकर उसे लगवाता हूं। कहीं डॉग बाइट के पेशेंट के चेहरा बुरी तरह से काट लेने के बाद उनकी सर्जरी करवाई है। इसके अलावा लगभग लाखों पंपलेट वह हजारों बैनर डॉग बाइट के प्राथमिक इलाज व रेबीज रोकथाम हेतु बनवाकर चिकित्सा विभाग, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, पंचायत समितियां, ग्राम पंचायतों को देने के अलावा मैं स्वयं स्कूलों में जा-जाकर बच्चों को पंपलेट देकर उन्हें डॉग बाइट के प्राथमिक इलाज व रेबीज प्रोटोकॉल के बारे में बताता हूं। अब तक लगभग 100 से अधिक बड़ी-बड़ी स्कूलों में मैंने रेबीज रोकथाम हेतु जागरूक सेमिनार आयोजित किया है। अब तक मैंने लोगों को इलाज दिलाने, सिरम दिलाने,उनकी सर्जरी करवाने,पंपलेट और बैनर बनवाने मैंने खुद की सेविंग के लगभग 1200000 रुपए खर्च किए है और हर महीने अपनी सैलरी की आधे पैसे मैं इसी काम में खर्च कर देता हूं और यह काम मैं मेरी आखरी सांस तक करूंगा। मेरा हर एक कदम और प्रिंस रेबीज रोकथाम संस्थान का हर एक कदम भारत सरकार के संकल्प 2030 तक संपूर्ण भारत को रेबीज मुक्त बनाने की ओर है।इस वर्ष, विश्व रेबीज दिवस 2022 की थीम है ‘Rabies: One Health, Zero Deaths’. इस वर्ष की रेबीज डे की थीम ‘जीरो बाय 30’ लक्ष्य को प्राप्त करने पर केंद्रित है और यह भी दर्शाता है कि कुत्ते से फैलने वाले ह्यूमन-रेबीज को पूरी तरह खत्‍म करना संभव है. प्रिंस रेबीज रोकथाम संस्थान इस थीम को चरितार्थ करने की पूरी कोशिश कर रहा है। जय हिंद, जय भारत।


मुझे सरकार से क्या चाहिए???

👉श्रीमान राजस्थान की 7 करोड है जो 33 जिला परिषदों, 352 पंचायत समितियों, 11283 ग्राम पंचायतों, ग्रेटर निगम, 10 नगर निगमों, 33 नगर परिषदों, नगरपालिकाओं व नगर पंचायतों में निवास करती है। इस 7 करोड़ जनसंख्या को रेबीज मुक्त बनाने के लिए मेरे पास में सोर्स कम है। इस संस्थान की वित्तीय सहायता की जाए और कुछ कर्मचारी उपलब्ध करवाए जाए।
प्रिंस रेबीज रोकथाम संस्थान अधिक से अधिक लोगो की जान बचाने के लिए एक टोल फ्री numbar की शुरुवात करना चाहता है जहां पीड़ित व्यक्ति कॉल करे टीम को और वहा से टीम उन्हें सही दिशा में गाइड करके, संबंधित जिले के डॉक्टर से उन्हे डब्ल्यूएचओ के रेबीज प्रोटोकाल के तहत इलाज दिला सके.
👉👉प्रिंस रेबीज रोकथाम संस्थान का प्रमुख कर्तव्य लोगों को एनिमल बाइट स्पेशल रूप से डॉग बाइट के प्राथमिक इलाज के बारे में जागरूक करना ही नहीं अपितु लाखों लोगों को और डॉक्टरों को रेबीज रोकथाम प्रशिक्षण दिलवाना सुनिश्चित करना है। इसके अलावा प्रिंस रेबीज रोकथाम संस्थान के पास में जो भी डॉग बाइट के केस आते है उनको रेबीज प्रोटोकॉल व घाव की ग्रेड के अनुसार इलाज दिलाता है। अब तक संस्थान ने संपूर्ण राजस्थान ही नहीं अपितु राजस्थान के बाहर भी लगभग 3000 लोगों को डॉग वाइट का प्राथमिक इलाज दिलवाया है। प्रिंस रेबीज रोकथाम संस्थान भारत सरकार के संकल्प-2030 तक संपूर्ण भारत को रेबीज मुक्त बनाने के महाजागरूक अभियान पर काम कर रहा है। इसके अलावा आम लोगों को डॉग बाइट के प्राथमिक इलाज के लिए जागरूक, सतर्क,सजग, सावधान व शिक्षित करना है।

👉इसके अलावा श्रीमान राजस्थान के सभी पीएचसी व सीएचसी और डिस्ट्रिक्ट लेवल के डॉक्टरों का बारी-बारी से रेबीज प्रशिक्षण किया जाना है।

👉कम से कम पीएचसी स्तर एंटी रेबीज वैक्सीन अवेलेबल हो और सीएचसी स्तर पर एंटी रेबीज इम्यूनोग्लोबुलीन सिरम का इंजेक्शन हो।

👉राजस्थान के सभी पीएचसी पर स्नेक बाइट के कम से कम 10 इंजेक्शन अवेलेबल हो ताकि डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल तक पहुंचने में वह सहायता कर सकें।

👉👉 मेरी ड्यूटी को समायोजित करके रेबीज मुक्त अभियान में लगाया जाए क्योंकि लोगों की जिंदगी बचाने से बढ़कर कोई भी बडी ड्यूटी नहीं हो सकती।

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